Swati Sharma

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वार्षिक प्रतियोगिता कविता:- 9 :- वृद्धावस्था

वार्षिक प्रतियोगिता 

कविता:-9 वृद्धावस्था:-

वृद्धावस्था की चौखट पर आकर,
जब भी कोई यह पूछता है।
क्या आपने पाया ? क्या खोया,
तब उसका मन यह सोचता है।
सबसे पहले ख्याल आता है,
कौन था अपना कौन पराया।
किसने हमको कितना हंसाया,
और किसने कितना रुलाया।
जब अपने और परायों का हिसाब जुड़ता है,
तब यह दिल धड़क कर सब सुनता है।
अंत में काम अनुभव ही आया,
हमने बदले में केवल यही कमाया।
यदि कर्म अच्छे हों तो मन चैन की सांस लेता है,
यदि कर्म बुरे हों तो मन सदा ही बेचैन रहता है।
वृद्धावस्था की चौखट पर आकर,
अक्सर हर मन यही समझता है। 


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2 Comments

Gunjan Kamal

11-Mar-2022 09:40 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Swati Sharma

12-Mar-2022 12:07 PM

आपका हार्दिक आभार मेम

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